शिमला मिर्च को कौन नहीं जानता? हर हिन्दुस्तानी रसोई में इसे देखा जा सकता है और इसे बडे चाव से सब्जी के तौर पर खाया जाता है। शिमला मिर्च को अन्य सब्जियों में मिलाकर न सिर्फ सब्जियों की रंगत बेहतर हो जाती है बल्कि इसे अन्य सब्जियों में बतौर सहायक मिलाने पर सब्जियों का जायका भी जबरदस्त हो जाता है। आधुनिक विज्ञान भी इसके औषधीय गुणों के भरपूर पैरवी करता है। चलिए आज जानते है शिमला मिर्च को बतौर औषधि…..
शिमला मिर्च को कोलेस्ट्राल कम करने के अति उत्तम मानते हैं। आधुनिक शोधों से ज्ञात होता है कि शिमला मिर्च शरीर की मेटाबोलिक क्रियाओं को सुनियोजित करके ट्रायग्लिसेराईड को कम करने में मदद करती है।
शिमला मिर्च में एक प्रमुख रसायन के तौर पर लायकोपिन भी पाया जाता है जिसे माना जाता है कि यह शारीरिक तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए बडा कारगर होता है।
आदिवासी हर्बल ज्ञान पर भरोसा किया जाए तो शिमला मिर्च शारीरिक शक्ति को मजबूत बनाने के लिए एक मददगार उपाय है। शिमला मिर्च में भरपूर मात्रा में विटामिन्स, खास तौर पर विटामिन ए, बी और सी। इसमें पाए जाने वाले रसायन शारीरिक मजबूती प्रदान करते हैं।
माना जाता है कि जो लोग अक्सर शिमला मिर्च का सेवन करते हैं उन्हें कमर दर्द, सायटिका और जोड दर्द जैसी समस्याएं कम होती है। शिमला मिर्च में पाया जाने वाला प्रमुख रसायन केप्सायसिन दर्द निवारक माना जाता है।
पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार शिमला मिर्च वजन कम करने के लिए एक बेहतर उपाय है। वसा और कार्बोहाईड्रेड्स की कम मात्रा के पाए जाने के कारण यह शरीर के लिए उत्तम होती है।
डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार शिमला मिर्च को उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इनके अनुसार सब्जी के तौर पर शिमला मिर्च का ज्यादा से ज्यादा सेवन बडा कारगर होता है।
आधुनिक शोधों के अनुसार शिमला मिर्च में बीटा केरोटीन, ल्युटीन और जिएक्सेन्थिन और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। शिमला मिर्च के लगातार सेवन से शरीर बीटा केरोटीन को रेटिनोल में परिवर्तित कर देता है, रेटिनोल वास्तव में विटामिन ए का ही एक रूप है। इन सभी रसायनों के संयुक्त प्रभाव से हॄदय की समस्याओं, ओस्टियोआर्थरायटिस, ब्रोंकायटिस, अस्थमा जैसी समस्याओं में जबरदस्त फायदा होता है।

शिमला मिर्च को कोलेस्ट्राल कम करने के अति उत्तम मानते हैं। आधुनिक शोधों से ज्ञात होता है कि शिमला मिर्च शरीर की मेटाबोलिक क्रियाओं को सुनियोजित करके ट्रायग्लिसेराईड को कम करने में मदद करती है।
शिमला मिर्च में एक प्रमुख रसायन के तौर पर लायकोपिन भी पाया जाता है जिसे माना जाता है कि यह शारीरिक तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए बडा कारगर होता है।
आदिवासी हर्बल ज्ञान पर भरोसा किया जाए तो शिमला मिर्च शारीरिक शक्ति को मजबूत बनाने के लिए एक मददगार उपाय है। शिमला मिर्च में भरपूर मात्रा में विटामिन्स, खास तौर पर विटामिन ए, बी और सी। इसमें पाए जाने वाले रसायन शारीरिक मजबूती प्रदान करते हैं।
माना जाता है कि जो लोग अक्सर शिमला मिर्च का सेवन करते हैं उन्हें कमर दर्द, सायटिका और जोड दर्द जैसी समस्याएं कम होती है। शिमला मिर्च में पाया जाने वाला प्रमुख रसायन केप्सायसिन दर्द निवारक माना जाता है।
पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार शिमला मिर्च वजन कम करने के लिए एक बेहतर उपाय है। वसा और कार्बोहाईड्रेड्स की कम मात्रा के पाए जाने के कारण यह शरीर के लिए उत्तम होती है।
डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार शिमला मिर्च को उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इनके अनुसार सब्जी के तौर पर शिमला मिर्च का ज्यादा से ज्यादा सेवन बडा कारगर होता है।
आधुनिक शोधों के अनुसार शिमला मिर्च में बीटा केरोटीन, ल्युटीन और जिएक्सेन्थिन और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। शिमला मिर्च के लगातार सेवन से शरीर बीटा केरोटीन को रेटिनोल में परिवर्तित कर देता है, रेटिनोल वास्तव में विटामिन ए का ही एक रूप है। इन सभी रसायनों के संयुक्त प्रभाव से हॄदय की समस्याओं, ओस्टियोआर्थरायटिस, ब्रोंकायटिस, अस्थमा जैसी समस्याओं में जबरदस्त फायदा होता है।

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